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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :200
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2776
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।

उत्तर -

ग्राम पंचायतें ग्रामीण पुनर्निर्माण की दिशा में निम्न प्रकार से अपना योगदान देती हैं-

(1) सार्वजनिक कल्याण - गाँवों में सार्वजनिक जीवन के क्षेत्र में अनेक समस्यायें व्याप्त हैं, जिन्हें हल करने की दृष्टि से ग्राम पंचायतें निम्न प्रकार से अपना योगदान देती हैं-

(i) सफाई का प्रबन्ध - ग्राम पंचायतें गाँवों में सफाई का प्रबन्ध करती हैं, ये गन्दे पानी के लिये नालियाँ और खाद एवं गन्दगी डालने के लिये गड्ढ़े बनवाती हैं। पंचायतें लोगों को सफाई रखने के महत्व से अवगत कराती हैं व गन्दे नालों व पोखरों की सफाई कराती हैं। ये मलेरिया आदि रोगों से बचने के लिये कीटनाशक दवाओं का छिड़काव कराती हैं।

(ii) शुद्ध पेय जल की व्यवस्था - शुद्ध पेय जल के अभाव में अनेक बीमारियाँ फैलती हैं। ग्राम पंचायतें ब्लीचिंग पाउडर एवं लाल दवा डालकर कुओं एवं जलाशयों के पानी को पीने योग्य बनाती हैं।

(iii) जनस्वास्थ्य में सुधार एवं रोगों के उपचार में सहायता - ग्राम पंचायतें सार्वजनिक स्वास्थ्य को सुधारने, लोगों को रोगों से दूर रखने, संक्रामक रोगों की रोकथाम करने, रोगों को चिकित्सा व उपचार करने एवं लोगों के स्वास्थ्य के स्तर को ऊँचा उठाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। वे स्वास्थ्य केन्द्रों व अस्पतालों की स्थापना करती हैं। तथा दवाओं एवं स्वास्थ्य सम्बन्धी साहित्य का वितरण करती हैं। ग्राम पंचायतें लोगों को बीमारियों से आगाह करती है और जनता को स्वास्थ्य सम्बन्धी जानकारी व सूचना देती है।

(iv) मनोरंजन का प्रबन्ध - ग्रामवासियों का जीवन कठिन परिश्रम का है। थकान से मुक्ति एवं ताजगी के लिये मनोरंजन आवश्यक है। ग्राम पंचायतें लोगों के लिये खेलकूद, नाटक, चलचित्र, भजन-कीर्तन, रेडियो एवं टेलीविजन आदि की व्यवस्था कर उन्हें मनोरंजन प्रदान करती है।

(v) साँस्कृतिक उन्नति से सहायक - ग्राम सांस्कृतिक दृष्टि से पिछड़े हुये हैं। अतः उनमें कला व साहित्य के प्रति रुचि पैदा करने एवं उनकी सांस्कृतिक उन्नति करने में ग्राम पंचायतें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

(vi) यातायात की सुविधा - ग्राम पंचायतें गाँवों में कच्ची व पक्की सड़कें बनवाती है और गाँवों को बाजारों, मण्डियों एवं मुख्य सड़कों से जोड़ती हैं। वे पुरानी सड़कों की मरम्मत करवाती हैं और उन पर रोशनी व छाया की व्यवस्था करती हैं। वस्तुतः यातायात के साधनों के अभाव में ग्रामीणों को अपने माल का उचित मूल्य नहीं मिल पाता और वे कई सुविधाओं से वंचित रह जाते हैं।

(vii) प्राकृतिक विपदाओं में सहायता - ग्रामवासियों को बाढ़, अकाल, महामारी, सूखा आदि प्राकृतिक विपदाओं का अक्सर सामना करना पड़ता है। कष्ट के इन क्षणों में ग्राम पंचायतें लोगों को आर्थिक सहायता दे सकती है और उन्हें कष्टों से न घबराने हेतु प्रेरित कर सकती हैं।

(2) सामाजिक जीवन - गाँवों में सामाजिक जीवन के पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतें निम्नांकित प्रकार से योगदान देती हैं-

(i) मातृत्व एवं शिशु कल्याण में सहायक - माताओं एवं शिशुओं की देखभाल एवं स्वास्थ्य रक्षा हमारा नैतिक एवं राष्ट्रीय दायित्व है। गाँवों में प्रसूति की सुविधाओं का अभाव होने के कारण अनेक स्त्रियों के प्रसव के समय काल-कवलित हो जाती हैं। शिशुओं के पालन-पोषण की भी गाँवों में उपयुक्त सुविधायें नहीं हैं। ग्राम पंचायतें माताओं एवं बच्चों को स्वास्थ्य एवं चिकित्सा की सुविधा दिलाने में अपना महत्वपूर्ण योगदान देती हैं।

(ii) समाज सुधार में योग- भारतीय गाँवों में अनेक सामाजिक समस्यायें जैसे - बाल-विवाह, विधवा पुनर्विवाह निषेध, अस्पृश्यता तथा पर्दा प्रथा आदि व्याप्त हैं जो सामाजिक प्रगति में बाधक रही हैं। ग्राम पंचायतें उचित सामाजिक पर्यावरण का निर्माण कर एवं जनजागरण द्वारा इन समस्याओं के समाधान में सहायता प्रदान करती है।

(iii) शिक्षा की व्यवस्था - भारतीय गाँवों में अशिक्षा व्याप्त है और अधिकांश लोगों को तो अक्षर ज्ञान भी नहीं हैं अशिक्षा ने उनके लिये आर्थिक-सामाजिक समस्यायें पैदा कर दी हैं। इस समस्या के समाधान के लिये पंचायतें प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षण संस्थायें खोलती हैं तथा प्रौढ़ शिक्षा, पुस्तकालय एवं वाचनालय आदि की व्यवस्था करती हैं।

(iv) मद्य निषेध एवं मादक पदार्थों के उपयोग पर रोक - ग्रामवासी अन्य लोगों की भाँति शराब एवं अनेक मादक पदार्थों जैसे- भाँग, अफीम, गाँजा, चरस आदि का उपयोग करते हैं। इन नशीले पदार्थों का स्वास्थ्य पर कुप्रभाव पड़ता है तथा इससे आर्थिक हानि एवं नैतिक पतन होता है। शराब - वृत्ति एवं नशीले पदार्थों के उपयोग को रोकने के लिये पंचायतें प्रभावशाली ढंग से कार्य कर सकती हैं और लोगों को समझा सकती हैं।

(v) शोषण से मुक्ति - ग्रामों में एक प्रमुख समस्या बंधुआ मजदूरी की है। 1976 के कानून द्वारा बंधुआ मजदूर प्रथा को समाप्त कर दिया गया है। ग्राम पंचायतें ऐसे बंधुआ मजदूरों का पता लगाने एवं उन्हें मुक्त कराने में योगदान दे सकती हैं।

(3) आर्थिक जीवन - गाँवों की आर्थिक स्थिति को सुधारने एवं उनकी प्रगति के लिये ग्राम पंचायतें निम्नांकित प्रकार से योगदान दे सकती हैं-

(i) भूमिहीन मजदूरों की सहायता - आज भी गाँवों में अधिकांश भूमि कुछ ही लोगों एवं भूस्वामियों के पास है और अनेक व्यक्ति भूमिहीन हैं। ऐसे भूमिहीन लोगों को कृषि भूमि उपलब्ध कराने एवं उनकी समस्या का समाधान करने में ग्राम पंचायतें सहायता प्रदान कर सकती हैं।

(ii) सहकारी समितियों का विकास - ग्रामीणों की आर्थिक दशा को उन्नत करने हेतु विभिन्न प्रकार की सहकारी समितियों की स्थापना की जानी चाहिये। ये सहकारी समितियाँ कृषि एवं ऋण देने सम्बन्धी सहायता करने एवं उपभोग की वस्तुओं की उचित कीमत दिलवाने का कार्य कर सकती हैं। गाँवों में सहकारी समितियों की स्थापना एवं प्रसार में ग्राम पंचायतें महत्वपूर्ण योगदान दे सकती हैं।

(iii) पशुओं की नस्ल सुधार में सहायता - किन्हीं क्षेत्रों में ग्रामीण पशु भी दयनीय स्थिति में हैं। इसी कारण अन्य देशों की तुलना में दुधारु पशु दूध कम देते हैं। ग्राम पंचायत ग्रामीणों को उन्नत किस्म के पशु प्रदान कर सकती हैं तथा पशुओं के रोग निवारण एवं चिकित्सा की सुविधायें प्रदान कर सकती हैं।

(iv) उद्योग-धन्धों का विकास - ग्राम पंचायतें गाँवों में छोटे-छोटे कुटीर धन्धों की स्थापना एवं विकास में सहायता कर सकती हैं। उद्योगों के लिये पानी, बिजली, ऋण एवं मशीनों एवं जुटाने में सहायता कर सकती हैं जिससे गरीबी समाप्त करने में मदद मिलेगी।

(v) कृषि में सुधार - भारत एक कृषि प्रधान देश है और अधिकांश ग्रामीणों का जीवन-यापन कृषि पर निर्भर है। भारतीय कृषि अभी भी दयनीय स्थिति में है। वैज्ञानिक यन्त्रों एवं ज्ञान, उन्नत बीज एवं खाद के अभाव, रोग एवं प्राकृतिक विपदाओं के कारण कृषि में कम उत्पादन होता है। कृषि की उन्नति, उन्नत खाद एवं बीज तथा वैज्ञानिक यन्त्र व ज्ञान उपलब्ध कराने में ग्राम पंचायतें ग्रामीणों की सहायता करती हैं।

(vi) सिंचाई की व्यवस्था - भारतीय कृषि मानसून का जुआ है, सिंचाई के साधनों के अभाव के कारण फसलें नष्ट हो जाती हैं और लोगों को गरीबी एवं अभाव में दिन बिताने होते हैं। ग्राम पंचायतें तालाबों, नहरों, कुओं का निर्माण एवं मरम्मत करके सिंचाई की सुविधायें प्रदान करती हैं।

(4) राजनीतिक जीवन - ग्राम पंचायत ग्रामों के राजनीतिक जीवन के पुनर्निर्माण में निम्नलिखित प्रकार से योगदान देती हैं-

(i) न्याय की व्यवस्था - ग्रामीणों को शीघ्र एवं सस्ता न्याय दिलाने की दृष्टि से ग्राम पंचायतें महत्वपूर्ण कार्य कर सकती हैं। वे मुकदमों को गाँवों में ही निपटाकर ग्रामीणों को आर्थिक संकट से उबार सकती हैं। ये ग्राम पंचायतें समझा-बुझाकर झगड़ों को निपटाने में सहायता प्रदान कर सकती हैं।

(ii) प्रशासन में सहायता - ग्राम पंचायतें ग्रामीण प्रशासन एवं नियन्त्रण का कार्य करती हैं और इस दृष्टि से सरकार को सहायता प्रदान करती हैं।

(iii) नागरिकता की शिक्षा - ग्राम पंचायतें ग्रामवासियों को स्वतन्त्र एवं लोकतान्त्रिक भारत के सुयोग्य नागरिक बनाने, उन्हें अपने कर्त्तव्यों एवं अधिकारों के प्रति जागरूक बनने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं।

(iv) ग्रामीण नेतृत्व का विकास - ग्राम पंचायतें गाँवों में नेतृत्व के विकास में योगदान देती हैं और ग्रामीण नेतृत्व को विकसित करने में पृष्ठभूमि प्रदान करती हैं।

(v) शान्ति एवं सुरक्षा - ग्राम पंचायतें गाँवों में शान्ति एवं सुरक्षा बनाये रखने का कार्य कर सकती हैं और इस दृष्टि से स्वयं सेवकों के संगठन बना सकती हैं।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्रादेशिक भूगोल में प्रदेश (Region) की संकल्पना का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्रदेशों के प्रकार का विस्तृत वर्णन कीजिये।
  3. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश को परिभाषित कीजिए।
  4. प्रश्न- प्रदेश को परिभाषित कीजिए एवं उसके दो प्रकारों का उल्लेख कीजिए।
  5. प्रश्न- प्राकृतिक प्रदेश से क्या आशय है?
  6. प्रश्न- सामान्य एवं विशिष्ट प्रदेश से क्या आशय है?
  7. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण को समझाते हुए इसके मुख्य आधारों का वर्णन कीजिए।
  8. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के जलवायु सम्बन्धी आधार कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  9. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के कृषि जलवायु आधार कौन से हैं? इन आधारों पर क्षेत्रीयकरण की किसी एक योजना का भारत के संदर्भ में वर्णन कीजिए।
  10. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित मेकफारलेन एवं डडले स्टाम्प के दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  11. प्रश्न- क्षेत्रीयकरण के भू-राजनीति आधार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  12. प्रश्न- डॉ० काजी सैयदउद्दीन अहमद का क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण क्या था?
  13. प्रश्न- प्रो० स्पेट के क्षेत्रीयकरण दृष्टिकोण पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  14. प्रश्न- भारत के क्षेत्रीयकरण से सम्बन्धित पूर्व दृष्टिकोण पर प्रकाश डालिये।
  15. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं? इसके उद्देश्य भी बताइए।
  16. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन की आवश्यकता क्यों है? तर्क सहित समझाइए।
  17. प्रश्न- प्राचीन भारत में नियोजन पद्धतियों पर लेख लिखिए।
  18. प्रश्न- नियोजन तथा आर्थिक नियोजन से आपका क्या आशय है?
  19. प्रश्न- प्रादेशिक नियोजन में भूगोल की भूमिका पर एक निबन्ध लिखो।
  20. प्रश्न- हिमालय पर्वतीय प्रदेश को कितने मेसो प्रदेशों में बांटा जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  21. प्रश्न- भारतीय प्रायद्वीपीय उच्च भूमि प्रदेश का मेसो विभाजन प्रस्तुत कीजिए।
  22. प्रश्न- भारतीय तट व द्वीपसमूह को किस प्रकार मेसो प्रदेशों में विभक्त किया जा सकता है? वर्णन कीजिए।
  23. प्रश्न- "हिमालय की नदियाँ और हिमनद" पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  24. प्रश्न- दक्षिणी भारत की नदियों का वर्णन कीजिए।
  25. प्रश्न- पूर्वी हिमालय प्रदेश का संसाधन प्रदेश के रूप में वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- भारत में गंगा के मध्यवर्ती मैदान भौगोलिक प्रदेश पर विस्तृत टिप्पणी कीजिए।
  27. प्रश्न- भारत के उत्तरी विशाल मैदानों की उत्पत्ति, महत्व एवं स्थलाकृति पर विस्तृत लेख लिखिए।
  28. प्रश्न- मध्य गंगा के मैदान के भौगोलिक प्रदेश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  29. प्रश्न- छोटा नागपुर का पठार पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  30. प्रश्न- प्रादेशिक दृष्टिकोण के संदर्भ में थार के मरुस्थल की उत्पत्ति, महत्व एवं विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  31. प्रश्न- क्षेत्रीय दृष्टिकोण के महत्व से लद्दाख पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  32. प्रश्न- राजस्थान के मैदान पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  33. प्रश्न- विकास की अवधारणा को समझाइये |
  34. प्रश्न- विकास के प्रमुख कारक कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  35. प्रश्न- सतत् विकास का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  36. प्रश्न- सतत् विकास के स्वरूप को समझाइये |
  37. प्रश्न- सतत् विकास के क्षेत्र कौन-कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  38. प्रश्न- सतत् विकास के महत्वपूर्ण सिद्धान्त एवं विशेषताओं पर विस्तृत लेख लिखिए।
  39. प्रश्न- अल्प विकास की प्रकृति के विभिन्न दृष्टिकोण समझाइए।
  40. प्रश्न- अल्प विकास और अल्पविकसित से आपका क्या आशय है? गुण्डरफ्रैंक ने अल्पविकास के क्या कारण बनाए है?
  41. प्रश्न- विकास के विभिन्न दृष्टिकोणों पर संक्षेप में टिप्पणी कीजिए।
  42. प्रश्न- सतत् विकास से आप क्या समझते हैं?
  43. प्रश्न- सतत् विकास के लक्ष्य कौन-कौन से हैं?
  44. प्रश्न- आधुनिकीकरण सिद्धान्त की आलोचना पर संक्षिप्त टिप्पणी कीजिए।
  45. प्रश्न- अविकसितता का विकास से क्या तात्पर्य है?
  46. प्रश्न- विकास के आधुनिकीकरण के विभिन्न दृष्टिकोणों पर प्रकाश डालिये।
  47. प्रश्न- डॉ० गुन्नार मिर्डल के अल्प विकास मॉडल पर विस्तृत लेख लिखिए।
  48. प्रश्न- अल्प विकास मॉडल विकास ध्रुव सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए तथा प्रादेशिक नियोजन में इसकी सार्थकता को समझाइये।
  49. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के प्रतिक्षिप्त प्रभाव सिद्धांत की व्याख्या कीजिए।
  50. प्रश्न- विकास विरोधी परिप्रेक्ष्य क्या है?
  51. प्रश्न- पेरौक्स के ध्रुव सिद्धान्त पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- गुन्नार मिर्डल के सिद्धान्त की समीक्षा कीजिए।
  53. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता की अवधारणा को समझाइये
  54. प्रश्न- विकास के संकेतकों पर टिप्पणी लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय असंतुलन की प्रकृति का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमता निवारण के उपाय क्या हो सकते हैं?
  57. प्रश्न- क्षेत्रीय विषमताओं के कारण बताइये। .
  58. प्रश्न- संतुलित क्षेत्रीय विकास के लिए कुछ सुझाव दीजिये।
  59. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन का मापन किस प्रकार किया जा सकता है?
  60. प्रश्न- क्षेत्रीय असमानता के सामाजिक संकेतक कौन से हैं?
  61. प्रश्न- क्षेत्रीय असंतुलन के क्या परिणाम हो सकते हैं?
  62. प्रश्न- आर्थिक अभिवृद्धि कार्यक्रमों में सतत विकास कैसे शामिल किया जा सकता है?
  63. प्रश्न- सतत जीविका से आप क्या समझते हैं? एक राष्ट्र इस लक्ष्य को कैसे प्राप्त कर सकता है? विस्तारपूर्वक समझाइये |
  64. प्रश्न- एक देश की प्रकृति के साथ सामंजस्य से जीने की चाह के मार्ग में कौन-सी समस्याएँ आती हैं?
  65. प्रश्न- सतत विकास के सामाजिक घटकों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  66. प्रश्न- सतत विकास के आर्थिक घटकों का विस्तृत विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  67. प्रश्न- सतत् विकास के लिए यथास्थिति दृष्टिकोण के बारे में समझाइये |
  68. प्रश्न- सतत विकास के लिए एकीकृत दृष्टिकोण के बारे में लिखिए।
  69. प्रश्न- विकास और पर्यावरण के बीच क्या संबंध है?
  70. प्रश्न- सतत विकास के लिए सामुदायिक क्षमता निर्माण दृष्टिकोण के आयामों को समझाइये |
  71. प्रश्न- सतत आजीविका के लिए मानव विकास दृष्टिकोण पर संक्षिप्त चर्चा कीजिए।
  72. प्रश्न- सतत विकास के लिए हरित लेखा दृष्टिकोण का विश्लेषण कीजिए।
  73. प्रश्न- विकास का अर्थ स्पष्ट रूप से समझाइये |
  74. प्रश्न- स्थानीय नियोजन की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  75. प्रश्न- भारत में नियोजन के विभिन्न स्तर कौन से है? वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- नियोजन के आधार एवं आयाम कौन से हैं? वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- भारत में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में क्षेत्रीय उद्देश्यों का विवरण प्रस्तुत कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विकास में नियोजन क्यों आवश्यक है?
  79. प्रश्न- भारत में नियोजन अनुभव पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  80. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय नियोजन की विफलताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- नियोजन की चुनौतियां और आवश्यकताओं पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  82. प्रश्न- बहुस्तरीय नियोजन क्या है? वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था के ग्रामीण जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  84. प्रश्न- ग्रामीण पुनर्निर्माण में ग्राम पंचायतों के योगदान की विवेचना कीजिये।
  85. प्रश्न- संविधान के 72वें संशोधन द्वारा पंचायती राज संस्थाओं में जो परिवर्तन किये गये हैं उनका उल्लेख कीजिये।
  86. प्रश्न- पंचायती राज की समस्याओं का विवेचन कीजिये। पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव भी दीजिये।
  87. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यक उपागम की व्याख्या कीजिये।
  88. प्रश्न- साझा न्यूनतम कार्यक्रम की विस्तारपूर्वक रूपरेखा प्रस्तुत कीजिये।
  89. प्रश्न- भारत में अनुसूचित जनजातियों के विकास हेतु क्या उपाय किये गये हैं?
  90. प्रश्न- भारत में तीव्र नगरीयकरण के प्रतिरूप और समस्याओं की विवेचना कीजिए।
  91. प्रश्न- पंचायती राज व्यवस्था की समस्याओं की विवेचना कीजिये।
  92. प्रश्न- प्राचीन व आधुनिक पंचायतों में क्या समानता और अन्तर है?
  93. प्रश्न- पंचायती राज संस्थाओं को सफल बनाने हेतु सुझाव दीजिये।
  94. प्रश्न- भारत में प्रादेशिक नियोजन के लिए न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के महत्व का वर्णन कीजिए।
  95. प्रश्न- न्यूनतम आवश्यकता कार्यक्रम के सम्मिलित कार्यक्रमों का वर्णन कीजिए।
  96. प्रश्न- भारत के नगरीय क्षेत्रों के प्रादेशिक नियोजन से आप क्या समझते हैं?

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